Wednesday, September 19, 2012

जरुरी तो नही.............

हर हंसी के पीछे ख़ुशी हो,
यह जरुरी तो नही   !
जो हम कहे वह हर बार सही हो,
यह जरुरी तो नही !!
आज रात अँधेरी है पर,
हर रात अँधेरी हो,
यह जरुरी तो नही  !
कोई रूठा है अपना,
मना लो उसे आज ही
कल मानने को हम हो,
यह जरुरी तो नही !
गलतियाँ हर बार तुमसे हो,
यह जरुरी तो नही !
झुक जाने से अगर,
कोई अपना मना जाये
तो झुक जाने में ,
कोई बुराई तो नही !
आ पास आ कुछ पल के लिए, 
साथ हम रह ले !
कल साथ हो हम,
यह जरुरी तो नही !

Wednesday, June 20, 2012

Sunday, June 17, 2012

सच पूछो तो अच्छा सा लगा !




तेरा मेरे पास आना 
पास आके यूँ मुस्कराना 
सच पूछो तो अच्छा सा लगा !
                                                          
                                                            एक टक बस मुझे देखते रहना
                                                            देखकर मन ही मन मुस्कराना !
                                                            सच पूछो तो अच्छा सा लगा !
बिना कुछ बोले घंटों तक बैठे रहना 
मेरे बालों में तेरी उंगलिओं का फेरना !
सच पूछो तो अच्छा सा लगा !



           खामोश सी नज़रों से कुछ इशारे करना

         कुछ ना कहकर भी सब बोल जाना 
        सच पूछो तो अच्छा सा लगा !

वो ग़ज़ल मेरे चेहरे की  
वो नगमे मेरी बातों की 
सच पूछो तो अच्छा सा लगा !


                                                         
                                                          वो तेरा हँसना और मुझे भी हँसाना 
                                                          मुझे रुलाकर फिर हंसके मानना
                                                          सच पूछो तो अच्छा सा लगा !
                                                                                                       -विधू यादव 



Sunday, March 25, 2012

तुम ना आये !

वादा था मिलने का  
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
सोचा था कुछ पल तेरे संग बीतेंगे 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
एहसास था पहले से ही मुझे 
की तुम ना आओगे !
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
दीप जलाकर घर को सजाया था 
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
महक तेरी सांसे भी जाये 
रजनीगंधा के फूलों को 
गुलदान में लगया था !
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
झर झर कर झर रहे थे 
आँगन में पारिजात के पुष्प भी 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
पहनी थी हाथों में वो कांच की चूड़िया
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
                         -विधू 


Thursday, March 22, 2012

मंजिलों को जो चले

मंजिलों को जो चले 
वो राह मै अपनाउंगी !
तुफा को सारे तोड के एक दिन
मंजिल को अपनी पाऊँगी !
राह पर ठोकर लगे तो 
भयभीत ना हो जाउंगी !
मुश्किलों में मै कभी ना घबराउंगी !
ना मिला राह पर हमसफर कोई 
लोट के ना वापस आउंगी !
मंजिलों को  जो चले 
वो राह मै अपनाउंगी !
करवा जो लम्बा हो तो 
देखकर डर जाते नही 
और ना मिला जो 
राही कोई पथ पर
तो सूनेपन ना गले लगाउंगी !
बढ चले जो मंजिल को 
वो राह मै अपनाउंगी !
वो राह मै अपनाउंगी !

                                    - विधू 



Thursday, March 15, 2012

ना रूठो इतना !

ना रूठो इतना 
कि दूर हम हो जाये !
लोट के वापस 
कि हम ना आ पाए !
निगाहे इस कदर 
झुक ना जाये !
कि नजरे ही ख़ुद से 
नजर ना मिला पाए !
दिल टूटने की 
आवाज कहाँ आये !
टूट के दिल 
फिर जुड़ ना पाए !
राह मिलती राहों से 
मज़िलों से कही 
भटक ना जाये !
प्यास दिलों की 
दिलों से बुझे !
बात दिल की अब 
तुमसे कहे ना कहे !
तमन्ना दिलों की 
पूरी हो जाये ! 
मिले हम तुम कि 
कहानी अधूरी ना हो जाये !
ना रूठो इतना कि 
दूर हम हो जाये ! 
विधू 



तू प्यार है मेरा !


दिल कहता है 
तू प्यार है मेरा !
पर दिमाग कहता है 
तू ख्वाब है मेरा !
दिल कहता है 
मेरा ख्वाब तू सजाएगा !
पर दिमाग कहता है 
तू मेरे सारे ख्वाब तोड़ जायेगा !
दिल कहता है 
एक दिन तू पास मेरे आयगा !
पर दिमाग कहता है 
तू एक दिन मुझसे दूर चला जायेगा !
दिल कहता है  
तू हर रस्म को निभाएगा !
पर दिमाग कहता है 
तू हर कसम तोड़ जायेगा !
दिल कहता है 
तू बात सुनकर मेरी रूठ जायेगा 
पर दिमाग कहता है 
मेरी उलझन को तू सुलझाएगा !
                                                                                                          


Sunday, January 29, 2012

कभी आते है वो!

कभी आते है वो,
 

आँखों में एक ख्वाब बनके !
 

कभी हकीकत है ,
 

कभी राज बनके !
 

कभी बोल पड़ते है
 

वो गीतों में मेरे
 

कभी लफ्ज़ बनके !
 

कभी कोई सुर
 

तो कभी कोई तान बनके !
 

चलते है अक्सर
 

वो साथ मेरे
 

कभी परछाई बनके !
 

कभी साया,
 

तो कभी हम राह बनके !
 

कभी आते है वो,
 

आँखों में एक ख्वाब बनके  !

Friday, January 27, 2012

कल इनको सोचूंगी

कल इनको सोचूंगी ,
कल इनमे खुद को पाऊँगी !
बीते हुए लम्हों को,

मै न भूल पाऊँगी !
कुछ तेरी यादें हैं ,

कुछ तेरी बातें हैं !
तेरी इन बातों को,

दिल में सजौंगी !
तेरे संग जीना हैं ,

तेरे लिए मरना हैं ,
तेरी इस दुनिया में,

प्यार बसौंगी !
तेरी लिए खुशियाँ  हों ,

प्यार भरी दुनिया हो !
तेरी इस दुनिया को,

गीतों में सजौंगी !
कल इनको सोचूंगी ,
कल इनमे खुद को पाऊँगी !
बीते हुए लम्हों को मै न भूल पाऊँगी !

Tuesday, January 10, 2012

तुम ना होते अगर...

तुम ना होते अगर...
हम ना होते अगर...
प्यार होता भी ना...
दिल भी खोता भी ना.......
नींद उडती भी ना
चैन छिनता भी ना
याद आती भी ना
जान जाती भी ना
दर्द होता भी ना
सहना पड़ता भी ना
नैना मिलते भी ना
बात होती भी ना
 राहें मिलती भी ना
एक होती भी ना
चुप चुप अक्सर अकेले
में हम यूँ ना रोते सनम
लफ्ज़ होते अगर
बोल देते सनम
तुम ना होते अगर...
हम ना होते अगर...
प्यार होता भी ना...
दिल ये खोता भी ना.......

Thursday, January 5, 2012

बोल ऐसे लिखूं!


बोल ऐसे लिखूं की गीत बन जाये 

सुर की सरिता का कोई संगीत बन जाये !

हो कोई ऐसी ग़ज़ल जो दिल गुनगुनाये 

बीच कीचड़ में जैसे कमल मुस्कराए !

ना तेरे लिए ना हो मेरे लिए हो

गीत ऐसा हो जो हो सबके लिए हो

प्यार की चासनी में हो घोले हुए 

प्यार के बोल हो सजाये हुए !

शब्द ऐसे हो सब आजमाए 

परम्परा की ढपली सब जन बजाये 

भीगे सभी उसमे ऐसी वर्षा लाये 

सदा तक चले ऐसी रीत बने जाये

सुर की सरिता का कोई संगीत बन जाये !

बोल ऐसे लिखूं की गीत बन जाये !!


कुछ पुरानी सी बातें है

कुछ पुरानी  सी बातें है  ,
कुछ भूली बिसरी सी यादें हैं !
कुछ आये है कुछ चले गए
कुछ यादों की चादर छोड़ गए हैं !
कुछ याद कराये बचपन की ,
कुछ सबक दिलाये जीवन की
कुछ लाये आँखों मे आंसू
कुछ खुशियों में और
कुछ दर्द से लिपटी हैं !
कुछ कागज की कटी पतंग सी
कुछ तितली के सुन्दर रंग सी
कुछ बिखरी यहाँ ओंस की बूंदे
कुछ कलकल करते झरने सी
कुछ फूलों सी मुरझाई ,
कुछ कलिओं सी शरमाई
कुछ भीगी हुई चासनी में
कुछ मिर्ची सी तीखी
कुछ पुरानी  सी बातें है  ,
कुछ भूली बिसरी सी यादें हैं !