मंजिलों को जो चले
वो राह मै अपनाउंगी !
तुफा को सारे तोड के एक दिन
मंजिल को अपनी पाऊँगी !
राह पर ठोकर लगे तो
भयभीत ना हो जाउंगी !
मुश्किलों में मै कभी ना घबराउंगी !
ना मिला राह पर हमसफर कोई
लोट के ना वापस आउंगी !
मंजिलों को जो चले
वो राह मै अपनाउंगी !
करवा जो लम्बा हो तो
देखकर डर जाते नही
और ना मिला जो
राही कोई पथ पर
तो सूनेपन ना गले लगाउंगी !
बढ चले जो मंजिल को
वो राह मै अपनाउंगी !
वो राह मै अपनाउंगी !
- विधू
.......इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें.
ReplyDeletethank u very much :)
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