Wednesday, September 28, 2011

अक्सर ख़ुद से ही बातें करती हूँ क्यूँ ,

अक्सर ख़ुद से ही बातें करती हूँ क्यूँ ,
उलझी उलझी से रहती हूँ क्यूँ ?
आँखों में सपने आते है क्यूँ
और आते है तो जाते हैं क्यूँ ?
अम्बर ये नीला होता है क्यूँ
और होता हैं तो इतना ऊंचा है क्यूँ ?
हरा समन्दर होता है क्यूँ ,
और होता है तो इतना गहरा है क्यूँ ?
कीचड़ में ही कमल खिलता है क्यूँ
और खिलता है तो इतना निर्मल हैं क्यूँ ?
इन्द्रधनुष क्यूँ सात रंग का
और इतना सुंदर होता है क्यूँ ?
सूरज पूरब में उगता है क्यूँ
और ढलता फिर पिश्चम में ही क्यूँ ?
मस्त हवा चलती है क्यूँ ,
और जब चलती हैं तो दिखती नही क्यूँ ?
जो बीत गया है वो कल है क्यूँ ,
और आने वाले दिन को भी कल कहते है क्यूँ ?
अक्सर ख़ुद से ही बातें करती हूँ क्यूँ ,
उलझी उलझी से रहती हूँ क्यूँ ?

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