Sunday, March 25, 2012

तुम ना आये !

वादा था मिलने का  
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
सोचा था कुछ पल तेरे संग बीतेंगे 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
एहसास था पहले से ही मुझे 
की तुम ना आओगे !
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
दीप जलाकर घर को सजाया था 
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
महक तेरी सांसे भी जाये 
रजनीगंधा के फूलों को 
गुलदान में लगया था !
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
झर झर कर झर रहे थे 
आँगन में पारिजात के पुष्प भी 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
पहनी थी हाथों में वो कांच की चूड़िया
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
                         -विधू 


Thursday, March 22, 2012

मंजिलों को जो चले

मंजिलों को जो चले 
वो राह मै अपनाउंगी !
तुफा को सारे तोड के एक दिन
मंजिल को अपनी पाऊँगी !
राह पर ठोकर लगे तो 
भयभीत ना हो जाउंगी !
मुश्किलों में मै कभी ना घबराउंगी !
ना मिला राह पर हमसफर कोई 
लोट के ना वापस आउंगी !
मंजिलों को  जो चले 
वो राह मै अपनाउंगी !
करवा जो लम्बा हो तो 
देखकर डर जाते नही 
और ना मिला जो 
राही कोई पथ पर
तो सूनेपन ना गले लगाउंगी !
बढ चले जो मंजिल को 
वो राह मै अपनाउंगी !
वो राह मै अपनाउंगी !

                                    - विधू 



Thursday, March 15, 2012

ना रूठो इतना !

ना रूठो इतना 
कि दूर हम हो जाये !
लोट के वापस 
कि हम ना आ पाए !
निगाहे इस कदर 
झुक ना जाये !
कि नजरे ही ख़ुद से 
नजर ना मिला पाए !
दिल टूटने की 
आवाज कहाँ आये !
टूट के दिल 
फिर जुड़ ना पाए !
राह मिलती राहों से 
मज़िलों से कही 
भटक ना जाये !
प्यास दिलों की 
दिलों से बुझे !
बात दिल की अब 
तुमसे कहे ना कहे !
तमन्ना दिलों की 
पूरी हो जाये ! 
मिले हम तुम कि 
कहानी अधूरी ना हो जाये !
ना रूठो इतना कि 
दूर हम हो जाये ! 
विधू 



तू प्यार है मेरा !


दिल कहता है 
तू प्यार है मेरा !
पर दिमाग कहता है 
तू ख्वाब है मेरा !
दिल कहता है 
मेरा ख्वाब तू सजाएगा !
पर दिमाग कहता है 
तू मेरे सारे ख्वाब तोड़ जायेगा !
दिल कहता है 
एक दिन तू पास मेरे आयगा !
पर दिमाग कहता है 
तू एक दिन मुझसे दूर चला जायेगा !
दिल कहता है  
तू हर रस्म को निभाएगा !
पर दिमाग कहता है 
तू हर कसम तोड़ जायेगा !
दिल कहता है 
तू बात सुनकर मेरी रूठ जायेगा 
पर दिमाग कहता है 
मेरी उलझन को तू सुलझाएगा !