Wednesday, October 5, 2011

मेरे अपने अक्सर मुझसे रूठ जाया करते हैं ,


मेरे अपने अक्सर मुझसे रूठ जाया करते हैं ,
खुली आँखों के सपने अक्सर टूट जाया करते है....


ना मार पत्थर तू ठहरे पानी में कभी ,
छू लेने से ही लहरे बिखर जाया करती हैं !


परवा ना कर तू अगर कोई साथ न दे ,

तम में तो अक्सर परछाई भी साथ छोड़ जाया करती है !


मौसम की तरह बदल जाया कोई  तो गम न करना तू ,
ये तो दस्तूर है मौसम अक्सर बदल जाया करते हैं !



मेरे अपने अक्सर मुझसे रूठ जाया करते हैं ,
खुली आँखों के सपने अक्सर टूट जाया करते है....

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