Thursday, March 22, 2012

मंजिलों को जो चले

मंजिलों को जो चले 
वो राह मै अपनाउंगी !
तुफा को सारे तोड के एक दिन
मंजिल को अपनी पाऊँगी !
राह पर ठोकर लगे तो 
भयभीत ना हो जाउंगी !
मुश्किलों में मै कभी ना घबराउंगी !
ना मिला राह पर हमसफर कोई 
लोट के ना वापस आउंगी !
मंजिलों को  जो चले 
वो राह मै अपनाउंगी !
करवा जो लम्बा हो तो 
देखकर डर जाते नही 
और ना मिला जो 
राही कोई पथ पर
तो सूनेपन ना गले लगाउंगी !
बढ चले जो मंजिल को 
वो राह मै अपनाउंगी !
वो राह मै अपनाउंगी !

                                    - विधू 



2 comments:

  1. .......इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें.

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