Tuesday, September 3, 2013

क्यूँ परेशान, हैरान सा हो जाता है

क्यूँ परेशान, हैरान सा हो जाता है 
          क्यूँ  आदमी यहाँ , 
आदमी से अनजान हो जाता है.
          कोई होता है कहाँ किसी का होकर 
 आज साथ चलकर कल भूल जाता है.
           क्यूँ  आदमी यहाँ , 
आदमी से अनजान हो जाता है.
          वक़्त बदल जाता है, 
ये तो फितरत में है उसके 
             क्या खता है मौसम की 
जो मौसम बदल जाता है.
             क्यूँ  आदमी यहाँ , 
आदमी से अनजान हो जाता है.
              क्यूँ परवाह करता है मुसफ़िर 
 तू उसके बिछड़ जाने का 
              मंजिलों पर आकर अक्सर 
कारवां बिछड़ जाता है. 
              क्यूँ परेशान, हैरान सा हो जाता है 
क्यूँ  आदमी यहाँ , 
              आदमी से अनजान हो जाता है.
                                                            विधू 

   
 

2 comments:

  1. मंजिलों पर आकर अक्सर कारवां बिछड जाता है
    बहुत सुन्दर

    प्रणाम स्वीकार करें

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  2. अभिनन्दन आपका।

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