Sunday, March 25, 2012

तुम ना आये !

वादा था मिलने का  
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
सोचा था कुछ पल तेरे संग बीतेंगे 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
एहसास था पहले से ही मुझे 
की तुम ना आओगे !
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
दीप जलाकर घर को सजाया था 
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
महक तेरी सांसे भी जाये 
रजनीगंधा के फूलों को 
गुलदान में लगया था !
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
झर झर कर झर रहे थे 
आँगन में पारिजात के पुष्प भी 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
पहनी थी हाथों में वो कांच की चूड़िया
पर अफ़सोस की तुम ना आये ! 
पर अफ़सोस की तुम ना आये !
                         -विधू 


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